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"शिकायत" कुछ ख़ास नहीं है लिखने को लिख रही हूं इसलिए आज मैं ख़ामोशी, बहते आंसुओं की धारा को और चंद कतरे यादों की माटी के....!! किसी की यादों का यूँही ...